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सभी अध्यापक एकजुट और मैं अकेला

क्या भ्रष्टाचार की पूर्णाहुति होगी कभी ??
क्या भ्रष्टाचार की पूर्णाहुति होगी कभी ??
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मुझे नहीं पता कि मैंने गलत किया या सही परन्तु मैं सदैव ही गलतियों को सुधारना चाहता हूँ,न कि गलतियों को बडाना और खुद गलत हो जाना. मैंने प्रधानाचार्य के रूप में कार्यभार सम्हालते ही विद्यालय की व्यवस्था में सुधार करना शुरू कर दिया . अध्यापकों एवं छात्रों को निर्धारित समयानुसार समय से विद्यालय पहुचने के निर्देश दिए .अध्यापकों को परेशानी होने लगी क्योंकि सभी को आराम से आने व फर्जी छुट्टी लेने की आदत थी . परीक्षा के वक्त मैंने देखा कि बच्चे पेपर दे रहे है और अध्यापक जोर-जोर से बातचीत करने में मस्त है .मैने नोटिस निकालकर व्यवस्था सही करने हेतु परीक्षा प्रभारी को कहा ,व्यवस्था तो ठीक हुई पर प्रभारी नाराज हो गए . लिपिक ने शिकायत की कि अच्छी संख्या में अध्यापक मध्याहन भोजन का उपभोग कर रहे हैं , मैने तुरंत ही रोक लगा दी ,एक बार फिर लाभार्थी अध्यापक नाराज . अवकाश में जाने वाले अध्यापकों के वादन हेतु उपस्थित अध्यापको को नियुक्त करना निश्चित किया ,कुछ अध्यापक इससे भी परेशान हो उठे .
जनवरी १२ में मेरा विवाह हुआ परिवार को रखने लायक कोई कमरा वहां उपलब्ध नहीं था इसलिए ग्रामपंचायत के सामुदायिक मिलन केंद्र में रहने हेतु मेरी व्यवस्था भवन की देख -रेख करने वाले सज्जन ने कर दी ,जिसमें पहले भी कई प्रधानाचार्य एवं कर्मचारी रह चुके है . एक अध्यापक ने फर्जी छुट्टी नहीं मिलने पर बी डी ओ को शिकायत एवं आर टी आइ लगा दिया कि मैं सरकारी भवन में रहता हूँ जबकि ग्राम सभा ने मेरी तात्कालिक व्यवस्था की थी .भवन अधिक समय तक रहने हेतु सुरक्षित भी नहीं है . इस अध्यापक महाशय ने मुझे व्यक्तिगत तौर पर हर तरीके से परेशान करने की कोशिश करी .मैंने विभाग को जानकारी भी दी ,जाँच हुई छात्रों के विचार, अभिभावकों के विचार लिए गए जिसमें सभी ने मेरे पक्ष में ही बात कही पर न तो कोई मुझे प्रभारमुक्त कर रहा था और न ही उस अध्यापक पर कोई कार्यवाही .मुख्य शिक्षा अधिकारी महोदय कहने लगे कि आप सम्मानपूर्वक हटिये किसीके कहने से नहीं . वह अध्यापक मुझे धमकी भी देने लगा कि मैं दीपावली से पहले २,३ बम फोड़ जाऊंगा और ग्रामप्रधान से उसने आर टी आइ के तहत ये सूचना मांग ली कि मैं सरकारी भवन में एक साल से मुफ्त रहता हूँ और भवन किराया लेता हूँ ,जबकि मैं कुछ समय के लिए ही वहां रहा .क्या कोई व्यक्ति किसी के घर मेहमान के रूप मैं कुछ समय रहता है तो उसका भवन किराया काटना चाहिए ? इस अध्यापक ने एक पत्र बी इ ओ को भी लिखा ,मुझे क्रोधी ,असहनशील ,अव्यवहारिक आदि विभिन्न आरोप लगाते हुए ,और सभी के हस्ताक्षर ले लिए . यदि मैं सभी को आराम से समययापन करने देता और फर्जी अवकाश देता तो सभी खुश रहते पर मैने ऐसा नहीं किया. मैं अकेला और सभी अध्यापक एकजुट . कुछ गावं के लोगों को छोड़कर लगभग सभी ये समझते थे कि ये व्यक्तिगत झगडा है .घर मैं पत्नीजी भी कहने लगी कि आप तनाव मैं रहते है,खाना ठीक से नहीं खाते है अत: प्रभार छोड़ दो .मुख्य शिक्षा अधिकारी महोदय मुझे समझते थे पर वे भी कुछ कर नहीं पा रहे थे . मैं परेशान होकर ७ नवम्बर को एक पेड़ पर चढ़ने लगा कि मुझे या तो प्रभार मुक्त करो अथवा उस अध्यापक को हटाओ , मैं बहुत परेशान एवं तनाव मैं था कर भी क्या सकता था , शासन-प्रशासन की नीद कुछ खुली परिणाम अभी तक नहीं आया है . मैं ८ ता से अवकाश मैं हूँ क्योकि मेरा वहां रहना उचित नहीं था ,वह अध्यापक ८ ता की प्रात: अपने कमरे से जोर – जोर से गालियाँ दे रहा था ,दूर -दूर तक लोगों ने उसे सुना . मैं वहां सुरक्षित नहीं हूँ जब तक वह वहां से चला नहीं जाता क्योकि वह पूर्व प्रधानाचार्यों को भी इस तरह परेशान एवं कई कर्मचारियों के साथ भी अभद्रतापूर्ण व्यवहार कर चूका है .मैं दिल से सेवा करता हूँ पर आज ईमानदारी व निष्ठा से कार्य करना शायद सबसे बड़ी बेवकूफी है. मित्रो मुझे बताएं कि मैंने कहाँ – कहाँ गलती की ? क्या करना चाहिए था ? सरकारी नौकरी लगने के बाद कोई कार्य नहीं करना चाहिए ? ताकि मैं आगे गलती न करूँ .

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